आज हम आपको बताएंगे कि कितने किलोमीटर या समय के बाद ऑयल चेंज करवाना चाहिए, ऑयल न बदलवाने के नुकसान, और कौन-सा ऑयल चुनना सही रहेगा। साथ ही, कुछ प्रैक्टिकल टिप्स भी शेयर करेंगे, जो आपकी बाइक को लंबे समय तक चलाने में मदद करेंगे।
Engine Oil कब बदलें? टाइम या माइलेज, किस पर ध्यान दें?
इंजन ऑयल बदलने का सही समय बाइक के यूसेज, ऑयल टाइप, और कंपनी के गाइडलाइंस पर निर्भर करता है। यहां एक आसान चार्ट देखें:
ऑयल का प्रकार | माइलेज इंटरवल | टाइम इंटरवल |
---|---|---|
मिनरल ऑयल | 2,000–3,000 किमी | 4–6 महीने |
सेमी-सिंथेटिक ऑयल | 4,000–5,000 किमी | 6–8 महीने |
फुली सिंथेटिक ऑयल | 6,000–8,000+ किमी | 8–12 महीने |
नोट: ये आंकड़े जनरल हैं। हर बाइक की कंपनी (जैसे Hero, Bajaj, Honda) अपने मैन्युअल में अलग सलाह देती है। उसे ज़रूर चेक करें।
ऑयल न बदलवाने के 5 बड़े नुकसान
अगर आप ऑयल चेंज करवाने में लापरवाही करते हैं, तो ये समस्याएं हो सकती हैं:
- इंजन ओवरहीटिंग: पुराना ऑयल गाढ़ा हो जाता है, जिससे इंजन पार्ट्स के बीच घर्षण बढ़ता है। गर्मी बढ़ने से इंजन जल्दी खराब हो सकता है।
- माइलेज कम होना: घिसे हुए ऑयल से इंजन पर ज़ोर पड़ता है, जिससे पेट्रोल/डीजल की खपत बढ़ती है।
- पिस्टन और सिलेंडर डैमेज: ऑयल की क्लीनिंग क्षमता घटने से धूल-मिट्टी जमा होती है, जो पिस्टन को जाम कर सकती है।
- विब्रेशन और आवाज़: इंजन से टक-टक की आवाज़ आने लगेगी, जो बाद में बड़े खर्चे का कारण बन सकती है।
- वारंटी खत्म होना: अगर बाइक नई है और कंपनी के गाइडलाइंस नहीं फॉलो किए, तो वारंटी भी कैंसिल हो सकती है।
कौन-सा ऑयल चुनें? मिनरल, सेमी-सिंथेटिक या फुली सिंथेटिक?
मिनरल ऑयल पुरानी बाइक्स या कम बजट वाले राइडर्स के लिए सबसे सही विकल्प है। इसमें Gulf, Servo, HP जैसे ब्रांड्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालाँकि, इसकी सबसे बड़ी कमी यह है कि यह जल्दी खराब हो जाता है और बार-बार बदलने की ज़रूरत पड़ती है।

वहीं सेमी-सिंथेटिक ऑयल उन यूज़र्स के लिए बेहतर है जो नॉर्मल राइडिंग करते हैं, चाहे वह शहर की भीड़भाड़ वाली ट्रैफ़िक हो या लंबी दूरी की सवारी। Motul 5100 और Shell Advance AX5 जैसे ब्रांड्स इस कैटेगरी में अच्छे ऑप्शन हैं। इसका फ़ायदा यह है कि यह मिनरल ऑयल के मुकाबले बेहतर परफॉर्मेंस देता है और इसकी लाइफ भी लंबी होती है।
सिंथेटिक ऑयल भारी बाइकों के लिए सही होता है जिनका इंजन अधिक सीसी का होता है। उदाहरण के लिए आप बुलेट जैसी बाइकों को समझ सकते हैं। Motul 7100 और Shell Advance Ultra इसके प्रमुख ब्रांड्स हैं। इस ऑयल की खासियत यह है कि यह इंजन को गर्मी और घर्षण से बेहतर तरीके से बचाता है, जिससे इंजन की परफॉर्मेंस स्मूथ और लंबे समय तक बनी रहती है।
टिप: अगर बाइक नई है, तो कंपनी द्वारा सुझाए ग्रेड (जैसे 10W-40, 20W-50) का ही इस्तेमाल करें।
ऑयल चेंज करवाते समय ये 3 गलतियाँ न करें
- ओवरफिलिंग: ऑयल ज़्यादा डालने से इंजन पर दबाव बढ़ता है। डिपस्टिक/साइट ग्लास से लेवल चेक करें।
- लोकल/नकली ऑयल: सस्ते में मिलने वाले नकली ऑयल से बचें। अच्छी दुकान से ही खरीदें।
- ऑयल फिल्टर न बदलना: हर बार ऑयल बदलते समय फिल्टर भी बदलें, वरना नया ऑयल भी गंदा हो जाएगा।
ऐसे पहचानें कि ऑयल बदलने का टाइम आ गया है
- ऑयल का रंग Black/Dirty हो गया हो।
- बाइक स्टार्ट करने में ज्यादा समय लगे या इंजन कांपे।
- एक्सिलरेट करते समय पावर कम लगे।
निष्कर्ष
ऑयल चेंज करवाना महज़ 200–500 रुपये का खर्च है, लेकिन इसे टालने पर इंजन रिपेयर में हज़ारों रुपये फंस सकते हैं। इसलिए, अपनी बाइक के “ब्लड” को फ्रेश रखें और नियमित चेकअप करवाएं। अगर शक हो, तो मैकेनिक से बात करें या कंपनी के सर्विस सेंटर पर जाएं।
लेखक की टिप्पणी: यह जानकारी भारतीय रोड कंडीशन और यूज़र्स की आदतों को ध्यान में रखकर लिखी गई है। अगर आपकी बाइक का यूज़ेज अलग है (जैसे रेगुलर लॉन्ग ड्राइव), तो ऑयल चेंज का समय थोड़ा कम रखें।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य सुझावों पर आधारित है। हर बाइक का इंजन, यूज़ेज पैटर्न और कंपनी के गाइडलाइंस अलग हो सकते हैं। ऑयल चेंज से पहले अपनी बाइक का मैन्युअल ज़रूर चेक करें या किसी विश्वसनीय मैकेनिक से सलाह लें।
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